अंतर्वासना हिंदी स्टोरीज पढ़ने की बुरी आदत कैसे बंद करें ?

अंतर्वासना हिंदी सेक्स स्टोरीज पढ़ने की आदत कैसे बंद करें में आज हम देखने वाले है कैसे करे कामुकता की कहानिया पढने की आदत को बंद|

अंतर्वासना हिंदी सेक्स स्टोरीज पढने की बुरी आदत

अंतर्वासना हिंदी सेक्स स्टोरीज
अंतर्वासना हिंदी सेक्स स्टोरीज

तो दोस्तो स्वागत है आपका कैसे करें डॉट कॉम में आज हम आपको अंतर्वासना हिंदी सेक्स स्टोरीज यानी कि antarvasna हिंदी स्टोरीस पढ़ने की आदत को कैसे बंद करें के बारे में कुछ आप को जानकारी देने वाले हैं |

अंतर्वासना हिंदी सेक्स स्टोरीज क्या है ?

आप सभी लोगों को पता ही होगा कि अंतर्वासना हिंदी स्टोरीज में क्या होता है | अंतर्वासना हिंदी सेक्स स्टोरीज में सेक्स करने की कहानियां चुदाई करने की कहानियां या, किसी को पटाकर उसके साथ यौनसंबंध बनाने की कहानियां होती है |

ज्यादातर यह कहानियां भाभी, बहन, मामी, चाची, आंटी, दोस्त की बीवी, दोस्त की बहन,अपनी सगी माँ या फिर अन्य किसी  घर का परिवार के साथ यौन संबंध बनाने की होती है|  कई बार ऐसा होता है कि कई लोग झूठी कहानियां बनाकर हमारे अंदर भाभी, बहन, मामी, चाची,आंटी, दोस्त की बीवी, दोस्त की बहन या अन्य किसी घर के परिवार के लोगों को देखने के प्रति नजर बदल जाती है| सामने वाला कितना भी अच्छा हो हमें उसमें बुरी चीजें ढूंढने की आदत पड़ जाती है|

इसीलिए आज हम आपको कामुकता कहानी और अंतर्वासना हिंदी सेक्स स्टोरीज पढ़ने की बुरी आदत को कैसे बंद करें के बारे में बताएंगे |

  • आजकल सभी के पास एक अच्छा इंटरनेट कनेक्शन और एक मल्टीमीडिया हैंडसेट होता है |जब भी हम अकेले होते हैं तब हम पोर्न वीडियो या फिर हिंदी सेक्स स्टोरीज या फिर हिंदी सेक्स फोटोस ढूंढते रहते हैं|
  •  मगर क्या होता है दोस्तों इन्हीं आपकी आदतों की वजह से आपके सेक्स जीवन में बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है पोर्न वीडियो हिंदी सेक्स स्टोरीज या हिंदी सेक्स फोटो देखने के बाद आपके लिंग को या फिर योनि में उत्तेजना होती है और इसी के कारण आप हस्तमैथुन कर बैठते हो और यह आदत आपकी गहरी होती जाती है|
  • ज्यादा हस्तमैथुन करने के नुकसान आपने तो जान ही है और अपनी आदतों की वजह से आपको हस्तमैथुन करने की आदत लग जाती है|

अंतर्वासना हिंदी सेक्स स्टोरीज पढ़ने की आदत कैसे बंद करें ?

अगर आपको ऐसा लगता है कि आपकी आपको अंतर्वासना हिंदी स्टोरीस पढ़ने की बहुत बुरी आदत लग गई है| तो सबसे पहले आपको अपने आप को काबू में करना चाहिए उसके लिए आपको हिंदी सेक्स स्टोरीस पढ़ने का  मन कर रहा होगा तो आप को

अन्य किसी भी काम में व्यस्त होना चाहिए जैसे कि –

  • दोस्तों के साथ बाहर टहलने के लिए जाना चाहिए|
  • दोस्तों के साथ पर  चाहिए|
  • आपको लग रहा होगा कि आप का खुद पर कंट्रोल नहीं कर रहे है तो आपको किसी अच्छे दोस्त से या कोई अच्छी लड़की से बात कर कर अपना मन बदल लेना चाहिए|
  • दोस्तों ज्यादा अश्लील चीजें देखने से हमारे अंदर सेक्स करने की भावना उत्पन्न होती है | इसीलिए हम हस्तमैथुन कर बैठते हैं मगर इसी हस्तमैथुन की वजह से हमारे लिंग का टेढ़ापन आ जाता है लिंग को खड़ा होने में भविष्य में समस्या आती है आपके वीर्य की क्षमता बच्चा पैदा करने के लिए कम हो जाती है लिए और आपके सेक्स जीवन पर बहुत बड़ा संकट आता है|
  • ज्यादा अंतर्वासना हिंदी सेक्स स्टोरीज पढ़ने की वजह से आप का पढ़ाई में लगने वाला मन दूर हो जाता है|
  • कोई भी काम करने में आपका मन नहीं लगता है और आपके दिमाग में बस दूसरों के प्रति चोदने की या चुदाई करने की इच्छा होती है|
  • अगर कोई लड़की आपको भाई की नजर से भी देखती है तो आपको उसमें उसके साथ संबंध बनाने की इच्छा पैदा हो जाती है आपकी सगी बहन को आप गंदी नजरों से देखते हैं|
  • अपनी मां को जिसने आपको जन्म दिया है उसको भी आप अपनी हवस की वजह से बुरी नजर से देखने लगते हैं|
  • हमेशा एक बात याद रखना चाहिए दोस्तों माँ भगवान के समान होती है उसके प्रति यदि अगर आपकी देखने की भावना बदल जाती है तो भगवान भी आपको बचा नहीं सकता|
  • आपकी शादी होने के बाद आपका भाई, आपका बेटा या फिर आपका कोई सगा यदि आपकी वाइफ के साथ ऐसे ख्याल मन में लाता है तो आपको कैसा लगेगा? इसके बारे में आपको सोचना चाहिए|
  • यदि फिर भी आपकी कामुकता की कहानियां पढ़ने आदत नहीं जा रही है तो आपको आपके मोबाइल का इंटरनेट कनेक्शन 15 दिन के लिए बंद कर के देखना चाहिए|
  • अपने घर वालों के साथ अच्छा समय बताइए , इस आदत को बंद करने के लिए आप किसी लंबे छुट्टी के लिए भी जा सकते हैं और अपने दिमाग में आने वाली गंदी चीजों को वही बाहर फेंक कर आ सकते हो और एक अच्छा सुंदर जीवन बिता सकते हो|

जानिए- हस्तमैथुन करने की आदत को कैसे छुडाये ?

 

 

2 thoughts on “अंतर्वासना हिंदी स्टोरीज पढ़ने की बुरी आदत कैसे बंद करें ?”

    • घंनबादं सहीतः चंनदंन चंनदंन।
      सतं बचंन।।

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