नमस्ते दोस्तों, कैसे हो आप? तो आज हम बात करेंगे एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात के बारे में कि पीरियड्स में नहाना चाहिए या नहीं। हम सब जानते हैं कि,हर महिला, हर औरत, हर लड़की को पीरियड्स, माहवारी जिसे हम कहते हैं उस दौर से गुजर ना ही पड़ता है। जब हम किशोरावस्था में प्रवेश करते हैं, तब हम लड़कियों को पीरियड शुरू हो जाते हैं। इनकी औसतन उम्र लगभग 11 से 15 साल तक होती है। भारत के कई हिस्सों में माहवारी चक्र का आना अशुभ माना जाता है। बहुत सारी गलत धारणाएं हैं जो कि गलत है और इनकी वजह से महिलाओं को तकलीफ़ होती है और शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता है।
किशोरावस्था में प्रवेश करने के बाद हमारे शरीर में बहुत सारे बदलाव होते हैं। हमारे शरीर में नए प्रकार के हार्मोन का उत्पादन होता है। वह सब की वजह से हमारे पीरियड्स शुरू हो जाते हैं। जब हम छोटे होते हैं और जब हमारे पीरियड शुरू होते हैं तब हमें बहुत सारी चीजें अपनी मां,नानी,दादी इन सब से सुनने को मिलती है। हमें बैठने- उठने का,चलने का इन सब का सही तरीका सिखाया जाता है,क्योंकि हम तब छोटे होते हैं और हमारे लिए यह पीरियड क्यों होते हैं, यह सब नया होता है। ऐसी ही एक चीज है जो हमें पहले से सुनते आए हैं कि पीरियड्स में नहाना चाहिए या नहीं। इस पर पुराने जमाने से अलग अलग धारणाएं है।
पीरियड्स से जुड़ी कुछ मिथक बातें
दोस्तों, जैसे कि मैंने कहा कि पीरियड्स के बारे में बहुत सारी गलतफहमी है जो पुराने जमाने से चलती आ रही है और हम हमारी नानी दादी से सुनते आ रहे हैं कि पीरियड में यह नहीं करना चाहिए, वह नहीं करना चाहिए,अलग से बैठना चाहिए,पूजा नहीं करनी चाहिए। तो यह सब बातों पर आज हम यहां चर्चा जरूर करेंगे।
- पीरियड्स में अलग बैठना- यह एक बहुत ही पुरानी आम बात है, पुरानी आदत है कि हमें आज भी पीरियड शुरू होते हैं तो हमें अलग से बिठाया जाता है,हम किसी चीज को छू नहीं सकते, हमारा खाना अलग से हमें दिया जाता है, हम एक ही जगह पर बैठे रहते हैं। हम पूजा नहीं कर सकते, हम कुछ शुभ कार्य में हिस्सा नहीं ले सकते। यह जो पुराने जमाने की धारणा है वह गलत है, क्योंकि जब भी हम एक ही जगह पर बैठे रहते हैं चार पांच दिनों तक तो हमारा शरीर ऐंठ जाता है और पीरियड्स में वैसे भी हमें पेट में दर्द होना,बदन दर्द होना यह सब चीजे होती रहती है। तो अगर हम कुछ घर के काम करेंगे तो हमें हल्का महसूस होता है।
- शारीरिक श्रम ना करना- जैसे कि मैंने कहा कि पीरियड्स के दौरान एक ही जगह पर बैठे रहते हैं। तो इससे हम रोज के काम नहीं कर सकते। माहवारी के दौरान लड़कियां खेल नहीं सकती, औरते व्यायाम नहीं कर सकतीं। यह सब पुरानी बाते भारत के कई इलाकों में आज भी चलती आ रही हैं। लेकिन यह गलत बात है। जब हम काम करते हैं तो हमारे शरीर का रक्त संचार और ऑक्सीजन लेवल अच्छा रहता है। जिससे हमें पेट दर्द या बदन दर्द से आराम मिलता है। ज्यादा काम करने से परहेज करें। किंतु रोज के छोटे-छोटे काम तो आप माहवारी के दौरान कर ही सकती हैं।
- पीरियड्स में नहाना नहीं चाहिए- ऊपर दिए हुए सब मिथकों की तरह यह भी एक मिथक है,जो गलत है। हमारे बुजुर्ग हमें हमेशा ऐसा कहते हुए दिखे हैं कि पीरियड में नहाना नहीं चाहिए। ठंडे पानी से नहाना नहीं चाहिए। जब की इन सब बातों माहवारी से कुछ लेना-देना नहीं है। माहवारी एक ऐसी नैसर्गिक प्रक्रिया है जो एक अंतराल के बाद में हर महीने शुरू हो जाती है।उल्टा उस दौरान हर महिला, लड़की को अपने स्वच्छता के बारे में ज्यादा सोचना चाहिए। पुराने लोग ऐसे भी कहते हैं, कि माहवारी के दौरान हमें बाल नहीं धोने चाहिए, सजना संवरना नहीं चाहिए। यह सब गलत है।
पीरियड्स में नहाना चाहिए या नहीं
जी हां। आपको माहवारी में जरूर नहाना चाहिए। दिन में दो बार गुनगुने या थोड़ा गर्म पानी से नहाना चाहिए। उससे आपकी पर्सनल हाईजीन यानी स्वच्छता बरकरार रहती है। आप सुबह,श्याम दो बार नहाने से आपके शरीर में जो दर्द होता है उससे आपको राहत मिलेगी। नहाते समय आप pad या मेंस्ट्रुअल कप निकालकर नहाएं। इससे आपके प्युबिक एरिया को अच्छे से साफ कर सकते हैं और इंफेक्शन का खतरा टल सकता है। आपको पीरियड के दौरान संक्रमण का खतरा भी नहीं रहेगा। हल्के गुनगुने पानी से नहाने के बाद आप तरोताजा महसूस करेंगे और इससे आपके ब्लीडिंग पर भी कोई असर नहीं पड़ेगा। सर्दियों में गर्म पानी से नहाने से आपके शरीर को आराम मिलेगा। नहाने के पानी में अगर आप थोड़ा नमक मिला लें तो आपके मसल्स लचीलापन महसूस करेंगे।
पीरियड्स में आपको जरूरी आराम भी करना चाहिए। क्योंकि हमें पेट में दर्द, ऐठन महसूस होता है। इसी के साथ आप जो भी अंडरवियर इस्तेमाल कर रही हैं वह साफ सुथरा तथा स्किन फ्रेंडली हों। कॉटन के अंडरवियर का इस्तेमाल करना सबसे सही होता है। उससे आपको आरामदायक महसूस होता है।
दोस्तों, हम सब जानते हैं कि पीरियड के बारे में आज भी लोग खुलकर बात करने से हिचकिचाते हैं। किंतु यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात है। हमारे घर की महिलाएं इन दिनों में बहुत दर्द और पीड़ा सहती हैं। हमें इन बातों को ध्यान में रखकर उनसे आसानी से चर्चा करनी चाहिए और उनका दर्द समझना चाहिए। इससे उनको अपना दर्द कम करने में आसानी होगी और वह अकेला महसूस ना करके आजाद, आनंदमई जीवन जिएंगी।