गुप्त रोगों का इलाज इन हिंदी
यौन ज्ञान के अभाव में यौन रोग दिन-प्रतिदिन तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। गुप्त रोग बीमारी का आरंभ युवा अवस्था के प्रारंभ में 12 साल की उम्र होने लगता है और युवक की परिपक्व अवस्था 25 30 वर्ष की आयु तक पहुंचते-पहुंचते तो युवक हताश निराश हो जाता है। यह कहानी हजारों लोगों की मेरे पास है।
गुप्त रोगों की जानकारी :
गुप्त रोग का मूल कारण जो चिकित्सालय में मिला है वह हस्तमैथुन। बचपन में ही गुप्त अंगों को अपने हाथों से रगड़ कर ऐसी कमजोरी बना लेते है कि आगे जाकर विवाहित जीवन दुखमय बन जाता है। बुरी संगत से होने वाली इस रोग के आगे स्वप्नदोष अर्थात नींद में वीर्य स्त्राव होकर कपड़े गिले होना। वीर्य पतला हो जाना,जिससे विवाह होने पर शीघ्र निकल जाने से नपुंसकता, नामर्दी उत्पन्न हो जाती है।
अपनी धर्म पत्नी के अतिरिक्त स्त्री से संसर्ग रखने से गुप्त रोग हो जाते है। जो व्यक्ति यौन रोग को देखता है उसे मालूम पड़ जाता है कि यह व्यक्ति यौन रोग से ग्रस्त हैं और वह उससे घृणा करने लगता है।
गुप्त रोग से ग्रस्त स्त्रियों की हथेलियों तथा तलवों पर काले धब्बे पड़ जाते हैं। इस स्थिति में पैदा होने वाले शिशुओं में भी कीटाणु अपना प्रभाव दिखाती है नवजात शिशुओं के गुप्तांगों पर उपस्थित छालो से इसरोग को पहचाना जा सकता है।
- सुजाक: पेशाब करते समय पीड़ा अनुभव करना और गुप्तांगों से पिव रिसना सुजाक है। सुजक से पीड़ित स्त्रियों द्वारा पैदा किए गए नवजात शिशुओं में इस रोग के बाहरी लक्षण उनकी आंखों का लाल होना है।
- एड्स: एड्स आज भयंकर बीमारी के रुप में बड़ी समस्या बन चुका है 99 प्रतिशत एड्स फैलने का मुख्य कारण एक से अधिक योनि संबंध बनाना है।
- गैनोवैनोसिस: गुप्तांगो पर गुलाबी रंग की निरंतर बढत वाले रोग को गैनोवैनोसिस कहते है। उचित समय पर चिकित्सा ना होने पर यह कैंसर का रूप धारण कर सकता है।
इस गुप्त रोग से बचने का उत्तम उपाय है कि पुरुष अपनी पत्नी के अलावा अन्य किसी भी स्त्री से संभोग नहीं करें तथा शुद्ध सात्विक भोजन करें।